उच्चतम न्यायालय के आदेश को ध्यान में रखते हुए सरकार ने जनवरी 2018 में हज सब्सिडी को समाप्त कर दिया तथा अब से सब्सिडी हेतु दी जाने वाली धन राशि का उपयोग अल्पसंख्यकों की शिक्षा हेतु किया जाएगा, विशेषतः बालिकाओं की शिक्षा हेतु। विपक्ष ने भी हज सब्सिडी को समाप्त करने के निर्णय का विरोध नहीं किया, तथा स्पष्ट किया कि हज सब्सिडी समाप्त करने का निर्णय सही है, यदि बची हुई धनराशि का प्रयोग अल्पसंख्यकों के भले के लिए किया जाए। सरकार ने कहा कि इस बार रिकॉर्ड 1.75 लाख हज यात्राी हज के लिए रवाना होंगे जो कि स्वतंत्राता प्राप्ति के बाद से हज यात्रियों की सबसे बड़ी संख्या है।
तीर्थ यात्रियों पर निकटतम स्थान से हज के लिए हवाई यात्रा करने से रोक हटा दी गई है जिससे हज यात्रियों को कम खर्च करना होगा। हज यात्रियों की स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाले खर्च को भारत सरकार वहन करेगी। उच्चतम न्यायालय ने हज सब्सिडी समाप्त करने का निर्णय वर्ष 2012 में दिया था, जिसके अनुसार धीरे-धीरे कम करते हुए हज सब्सिडी को समाप्त किया जाना था।
हज समिति के सदस्य मोहम्मद इरफान अहमद ने बताया, ‘‘छोटे शहरों के आरोहण क्षेत्रा (इम्बारकेशन प्वांइट) से जाने वालों को ही मुख्य रूप से सब्सिडी मिलती थी। इस बार उनको बड़े शहरों के इम्बारकेशन प्वांइट का विकल्प दिया गया था। जिन हज यात्रियों ने कहा कि वो अधिक पैसे खर्च कर सकते हैं उन्होंने छोटे शहरों के इम्बारकेशन प्वांइट का चुनाव किया। जो हज यात्राी गया से यात्रा करेगा उसे 1,10,000 परंतु कोलकाता से यात्रा करने वाले को 75,000 अदा करने होंगे। इसी प्रकार श्रीनगर से यात्रा करने वाले को 1,10,000 तथा दिल्ली से यात्रा करने वाले का 60,000 रुपए देने होंगे। यद्यपि ये मूल्य वर्ष 2017 के अनुसार हैं। उन्होंने आगे कहा कि सऊदी सरकार ने भारत से हज यात्रा करने वालों के लिए समुद्र मार्ग की भी अनुमति प्रदान कर दी है।
पहली बार हज यात्रा पर जाने वाली महिलाएं बिना मेहरम (पुरुष) के जा सकेंगी। मेहरम की अनिवार्यता इस वर्ष से समाप्त कर दी गई है। महिला हज सहायता कर्मी महिला हज यात्रियों के साथ होंगी तथा सऊदी अरब में ठहरने की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाएगी।