निजता क्या है?
- ‘निजता’ की कोई कानूनी परिभाषा उपलब्ध नहीं है कुछ कानूनी विशेषज्ञ इसे मानव अधिकार और अंतरराष्ट्रीय चार्टर के रूप में परिभाषित करते हैं, जैसे मानव अधिकारों के सार्वभौमिक घोषणा का अनुच्छेद 12, व्यक्तियों की निजता के साथ “मनमाने ढंग से हस्तक्षेप” के खिलाफ बचाव करता है
- निजता का अर्थ विभिन्न रूप में लिया जा सकता है जैसे : अकेला रहने का अधिकार, असहमति की स्वतंत्रता या राज्य निगरानी से सुरक्षा आदि।
- उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय में स्पष्ट रूप से यह एक गारंटीकृत मौलिक अधिकार घोषित हुआ है
- जुलाई में, सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा था कि निजता मौलिक अधिकार है लेकिन यह “सशर्त” है
भारत में निजता कैसे सुरक्षित है?
- भारत में न्यायालय व्याख्या देते रहे है कि संविधान निजता के अधिकार की सीमित गारंटी देता है, विशेषत: अनुच्छेद 21, जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार के अंतर्गत
- इस तरह के न्यायालय के फैसलों में विभिन्न तरह के मामले उठते रहे है : विचरण की स्वतंत्रता से लेकर किसी दुसरे के सम्प्रषण का बीच में अवरोधन
इससे क्या प्रभाव पड़ता है?
- सरकार द्वारा आधार के लिए नागरिकों के बायोमेट्रिक आंकड़े इकट्ठा करने के बाद इस बारे में जनता में बहस आरंभ हुई ।
- सरकार आधार के लिए जोर दे रही है, कह रही है कि सब्सिडी योजनाओं रिसावों को रोकने और लाभ सुनिश्चित करने के लिए व सही लोगों तक पहुचाने के लिए यह आवश्यक है।
- लेकिन आलोचकों का कहना है कि इस कदम ने गोपनीयता का उल्लंघन किया है, आकड़ो का आसानी से दुरुपयोग किया जा सकता है और संभवत: लोगों की सरकार द्वारा जासूसों में सहायता करता है।
- आलोचकों का कहना है आधार से प्रोफाइलिंग और निगरानी की बहुत बड़ी संभावना है, सरकार संभावित रूप से आप पर जासूसी कर सकती है क्योंकि प्रमाणीकरण के लिए या वित्तीय लेन देन के लिए आधार का प्रयोग करने की हर घटना भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के डेटाबेस में लॉग हो जाती है।
- आलोचकों ने चेतावनी दी है कि आधार एक प्रकार से नागरिकों के गले में बांधने के लिए राज्य को एक “इलेक्ट्रॉनिक पट्टा” प्रदान करेगा और नागरिकों के डेटा तक पहुंचने के लिए सरकार को “व्यापक शक्ति” प्रदान करेगा।
निजी डेटा की सुरक्षा
- पिछले वर्षों में कई मुकदमों में तर्क दिया गया है कि आधार प्रणाली निजता के अधिकार का उल्लंघन करती है, जिससे उच्चतम न्यायालय ने जुलाई में एक बेंच का गठन यह स्पष्ट करने के लिए किया कि क्या इस तरह का अधिकार भारतीय संविधान में मौजूद है या नहीं
- क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की व्यक्तिगत जानकारी मई में रांची में एक सरकार द्वारा अधिकृत आधार नामांकन एजेंसी द्वारा लीक की गई थी। विश्लेषकों का मानना है कि लाइसेंस शुल्क के लिए निजी एजेंसियों को आधार नामांकन प्रक्रिया को सौंपने का सरकार का फैसला गलत था और निजी विवरण सुरक्षित करने का सेट अप कमजोर था जो डेटा दुरुपयोग और हैकिंग के लिए उन्मुख था
- आलोचकों ने एक डेटाबेस में दुरुपयोग की संभावना के बारे में चिंताओं को उठाया है क्योंकि इसमें किसी वयक्ति की पर्याप्त जानकारी स्टोर हो जाती है जो अंततः व्यक्ति की जीवन शैली, खरीद, मित्रों, वित्तीय आदतों आदि की समावेशी प्रोफ़ाइल बनाने के लिए काफी है
- उन्होंने सरकारी नीतियों पर भी आपत्ति जताई है जो आधार कार्ड को कल्याण और सामाजिक सेवा योजनाओं का लाभ लेने के लिए अनिवार्य बनाते हैं
- उच्चतम न्यायालय वर्तमान में लोकप्रिय संदेश सेवा व्हाट्सएप के फेसबुक को जानकारी साझा करने के निहितार्थ संबंधित गोपनीयता के मामले में एक और मामला सुन रहा है, जिसकी भारत में 160 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हैं
♦ प्रदीप गौतम
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