नेपाल के निवासियों ने 12 जनवरी, 2018 से हिमालय पर्वत पर बिछी चीन की ऑप्टिकल फाइबर लिंक के माध्यम से इंटरनेट का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। इसी के साथ साइबर दुनिया से जुड़ने के लिए उनकी भारत पर निर्भरता समाप्त हो गई है। चीन, नेपाल को इंटरनेट सेवा मुहैया कराने वाला दूसरा देश बन गया है।

उल्लेखनीय है कि दिसम्बर, 2016 में नेपाल ने चाइना टेलिकॉम के साथ इंटरनेट बैंडविड्थ के लिए करार किया था। सितम्बर 2017 में इसका परीक्षण शुरू किया गया था। सफल परीक्षण के साथ ही नेपाल अब व्यावसायिक रूप से चीनी बैंडविड्थ के साथ जुड़ गया है।

रासुवागाधी गेटवे के माध्यम से चीनी फाइबर लिंक द्वारा मिलने वाली इंटरनेट की प्रारंभिक गति 1.5 गीगाबाइट प्रति सेकेंड (जीबीपीएस) होगी, जोकि भारत से मिलने वाली स्पीड से कम है। बीरतनगर, भैरहवा और बीरगंज के माध्यम से भारत 34 जीबीपीएस की गति प्रदान कर रहा था। हिमालय पर्वतों में चीन के ऑप्टिकल फाइबर लिंक का वाणिज्यिक परिचालन शुरू हो गया है।

दरअसल, नेपाल में इंटरनेट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में चीन का इंटरनेट बैंडविड्थ नेपाल की बढ़ती मांग को पूरा करने का माध्यम होगा। चीन के इंटरनेट बैंडविड्थ के व्यावसायिक संचालन शुरू होने से नेपाल की इंटरनेट के लिए भारत पर एकमात्रा निर्भरता कम होगी। मौजूदा समय में नेपाल ग्लोबल इंटरनेट कनेक्टिविटी से भारत के टेलिकॉम ऑपरेटर्स से जुड़ा है।

नेपाल और चीन के बीच स्थापित ऑप्टिकल फाइबर लिंक देश भर में इंटरनेट बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी। यह नेपाल और चीन के बीच आधिकारिक स्तर के साथ-साथ नागरिक स्तर पर भी द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देगा।

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