यूनीक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) ने आधार संख्या से जुड़ी गोपनीयता एवं निजता से जुड़ी आशंकाओं को दूर करने के लिए 10 जनवरी 2018 को एक वर्चुअल आईडी (वीआईडी) प्रस्तुत की। जिसका प्रयोग आधार संख्या की भांति ही किया जा सकेगा। कोई भी आधार कार्ड धारक यूआईडीएआई की वेबसाइट पर जाकर 16 अंकों वाला यह वर्चुअल आईडी निकाल सकता है। इसके माध्यम से बिना आधार संख्या बताए सिम के वेरिफिकेशन से लेकर बाकी सारे काम किए जा सकेंगे। यह विभिन्न डाटा बेस में आधार संख्या को रखने पर भी कई प्रतिबंध लगाता है।
वर्चुअल आईडी की जरूरत सर्वोच्च न्यायालय में आधार के कानूनी आधार को चुनौती देने के परिणामस्वरूप और व्यक्ति के आधार संख्या के विवरण के संभावित दुरुपयोग को रोकने के लिए पड़ी।
3 जनवरी, 2018 को ट्रिब्यून दैनिक समाचार-पत्रा की रिपोर्टर रचना खैरा ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि मात्रा 500 रुपए देकर कोई भी 10 मिनट के भीतर किसी भी आधार संख्या धारक के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि उनके पास लोगों की वो जानकारी है, जो उन्होंने आधार कार्ड में दर्ज कराई थी।
9 जनवरी, 2018 को ही रिजर्व बैंक की रिसर्च एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि आधार कार्ड की जानकारी साइबर अपराधियों और शत्राुओं के लिए बेहद आसान निशाना हो सकता है। यदि साइबर अपराधी इसमें सेंध लगा पाए तो इसका बड़े पैमाने पर नुकसान होगा।
वर्चुअल आईडी के अंतर्गत प्रावधानः
- कोई भी आधार कार्ड धारक कितनी भी वर्चुअल आईडी बना सकता है।
- नई वर्चुअल आईडी बनाते समय पुराना वीआईडी स्वतः रद्द हो जाएगा।
- वीआईडी के माध्यम से मोबाइल कंपनी को उपभोक्ता का नाम पता और फोटो मिल जाएगा जो सत्यापन हेतु पर्याप्त है।
- वीआईडी आधार संख्या पर आधारित होगी।
1 मार्च 2018 से इसे स्वीकार किया जाने लगेगा और सत्यापन के लिए वीआईडी स्वीकार करना 1 जून 2018 से अनिवार्य होगा। इसका अनुपालन न करने वाली एजेंसियों पर कार्रवाही की जाएगी।