शोधन-अक्षमता और दिवाला संहिता (संशोधन) विधेयक, 2017 को 28 दिसंबर, 2017 को लोकसभा में पेश किया गया, जिसे लोकसभा ने 29 दिसंबर, 2017 को पारित कर दिया। राज्यसभा द्वारा यह विधेयक संशोधनों सहित 2 जनवरी, 2018 को पारित किया गया जिसे पुनः लोकसभा ने 4 जनवरी, 2018 को पारित कर दिया। यह विधेयक इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता, 2016 में संशोधन करता है और 23 नवम्बर, 2017 को प्रख्यापित शोधन-अक्षमता और दिवाला संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2017 का स्थान लेता है। संहिता कंपनियों और व्यक्तियों की इनसॉल्वेंसी को समयबद्ध प्रक्रिया से हल करती है

विधेयक का उद्देश्य अनैतिक, अवांछनीय व्यक्तियों को संहिता के प्रावधानों का दुरुपयोग करने या उसे निष्प्रभावी बनाने से रोकने के लिए सुरक्षात्मक उपाय करना है।

दरअसल, शोधन-अक्षमता एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति या कंपनियां अपने बकाया ऋण चुकाने में असमर्थ होते हैं। विधेयक में प्रस्ताव आवेदक को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है, जो शोधन-अक्षमता पेशेवर द्वारा प्रस्ताव योजना प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किए जाने के बाद प्रस्ताव योजना प्रस्तुत करता है। शोधन अक्षमता पेशेवर द्वारा केवल उन्हीं प्रस्ताव आवेदकों को योजना प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा जो शोधन-अक्षमता पेशेवर या भारतीय शोधन अक्षमता एवं दिवालिया बोर्ड द्वारा निर्धारित (ऋणदाताओं की समिति द्वारा अनुमोदित) निश्चित मानदंडों को पूरा करते हैं।

उल्लेखनीय है कि विधेयक द्वारा ‘शोधन-अक्षमता और दिवाला संहिता, 2016’ की धारा 2, 5, 25, 30, 35 और 240 में संशोधन किया गया है और संहिता में नई धाराएं 29 और 235 सम्मिलित की गई हैं। विधेयक द्वारा शोधन-अक्षमता एवं दिवालिया संहिता, 2016 में किए गए एक प्रावधान के अंतर्गत, कुछ व्यक्तियों को प्रस्ताव आवेदक होने और प्रस्ताव योजना प्रस्तुत करने से प्रतिबंधित किया गया है। एक व्यक्ति योजना प्रस्तुत करने के अयोग्य होगा, यदि वह अपना कर्ज चुकाने में अक्षम व्यक्ति है; वह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा चिन्हित जानबूझकर चूक करने वाला है; उसके खाते को एक वर्ष से अधिक के लिए गैर-निष्पादक परिसंपत्ति के रूप में चिन्हित किया गया है; वह ऐसे अपराध हेतु अभियुक्त है जिसमें दो या दो से अधिक वर्ष के कारावास का प्रावधान है; वह कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत निदेशक के रूप में अयोग्य घोषित किया गया हो; वह प्रतिभूतियों में व्यापार करने से प्रतिबंधित किया गया हो; वह अवमूल्यित या कपटपूर्ण लेन-देन में लिप्त हो, इत्यादि। विधेयक में प्रावधान किया गया है कि भारतीय शोधन-अक्षमता एवं दिवालिया बोर्ड द्वारा निर्दिष्ट किन्हीं अन्य शर्तों के अधीन ऋणदाताओं की समिति द्वारा 75 प्रतिशत बहुमत से प्रस्ताव योजना को मंजूरी प्रदान की जाएगी। विधेयक के अंतर्गत ऋणदाताओं की समिति को अध्यादेश के प्रख्यापित होने से पूर्व प्रस्तुत प्रस्ताव योजना को स्वीकार किए जाने से प्रतिबंधित किया गया है।

विधेयक शोधन-अक्षमता पेशेवर को ऋणी की चल या अचल संपत्ति को प्रस्ताव आवेदक होने के अयोग्य व्यक्ति को बेचने से प्रतिबंधित करता है। संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को एक लाख रुपए से दो करोड़ रुपए तक का जुर्माना देना होगा।

Pin It on Pinterest

Share This