सरकार द्वारा वन कानून में संशोधन कर बांस को घास की श्रेणी में लाने का प्रावधान किया गया। 27 दिसम्बर, 2017 को राज्यसभा ने बांस को घास की श्रेणी में लाने के प्रावधान वाले विधेयक को मंजूरी प्रदान की। यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित किया जा चुका था।
वर्ष 1927 के कानून में बांस को वृक्ष की श्रेणी में रखा गया था लेकिन वनस्पति शास्त्रा के वर्गीकरण के अनुसार, बांस ‘घास’ की श्रेणी में स्थान पाता है। इसी कारण से यह संशोधन किया गया है।
विधेयक के अनुसार, किसान राज्य के भीतर एवं राज्यों के बाहर भी बांसों की कटाई तथा उनके परिवहन हेतु परमिट प्रदान करने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। वन क्षेत्रा के बाहर उगाए गए बांसों को छूट प्रदान करने के लिए बांस को वृक्ष की श्रेणी से बाहर लाया गया, इससे कृषकों को बांस की खेती के लिए प्रोत्साहन मिलेगा तथा परमिट प्राप्त करने में आने वाली कठिनाइयों में भी कमी आएगी। इस व्यवस्था से कृषकों की आय में वृद्धि होगी। यह प्रावधान वन क्षेत्रा से बाहर तथा निजी भूमि पर उपजे हुए बांस के संबंध में है। इस निर्णय से बांस के उत्पादन, कटाई व परिवहन पर वन विभाग का नियंत्राण समाप्त हो गया है।