18 दिसंबर, 2017 को लोकसभा में कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ाने हेतु पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी (संशोधन) बिल 2017 पेश किया गया। पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 को फैक्ट्रियों, मांइस, ऑयल फील्ड, प्लांटेशन, पोर्ट, रेलवे कंपनियों, दुकानों या अन्य प्रतिष्ठानों में नौकरी करने वाले कर्मचारियों के लिए लागू किया गया था। यह सुविधा उन्हीं कर्मचारियों के लिए है जिसने दस या अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठान में कम से कम पांच वर्ष अपनी सेवाएं दी हों। ग्रेच्युटी की रकम कार्यकाल के प्रत्येक वर्ष के लिए 15 दिन के वेतन के आधार पर तय की जाती है। वर्तमान में इस रकम की अधिकतम सीमा 10 लाख रुपए है, जो 2010 में निश्चित की गई थी।
सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये की गई है। सरकार के अनुसार, मुद्रास्फीति तथा वेतन में बढ़ोत्तरी को ध्यान में रखते हुए निजी क्षेत्रों से जुड़े कर्मचारियों के लिए भी ग्रेच्युटी की सीमा को बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके लिए कानून में संशोधन के स्थान पर केंद्र सरकार को अधिकार देने का प्रस्ताव भी दिया गया है।
12 दिसंबर, 2017 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी (संशोधन) बिल को संसद में पेश करने के लिए अनुमति प्रदान की। इस कानून का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध कराना है।