एक फरवरी 2018 को वित्त मंत्राी ने लोकसभा में 2018-19 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए कहा कि वर्तमान प्रणाली, जिसमें सांसदों को उनके वेतन में वृद्धि का अधिकार देती है कि आलोचना हो रही है। जिसके चलते संसद सदस्यों के वेतन, निर्वाचन क्षेत्रा भत्ता और देय अन्य खर्च के लिए कुछ आवश्यक बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं जो एक अप्रैल 2018 से प्रभावी होंगी।

यह कानून सांसदों के वेतन को हर पांच साल में मुद्रास्फीति के हिसाब से अपने आप देगा। वर्तमान प्रणाली में संसद के दोनों सदनों के सदस्यों वाली एक संसदीय समिति सांसदों के वेतन और भत्ते के मामले में सिफारिश करती है, जिस पर सरकार उचित फैसला कर संशोधन विधेयक लाती है। आमतौर पर इन संशोधित प्रस्तावों को संसद में आम सहमति मिल जाती है।

उल्लेखनीय है कि लोकसभा के कुछ सांसदों ने संसद के शीतकालीन सत्रा में सर्वोच्च और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन में बढ़ोत्तरी के विधेयक पर बहस के दौरान अपने वेतन में वृद्धि की मांग की थी।

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