यह पुस्तक, पाठकों द्वारा व्यापक रूप से प्रशंसित, मुख्यतः यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन पेपर के पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार की गई है, लेकिन यह प्रारंभिक परीक्षा सामान्य अध्ययन पेपर-1 में भी सहायक होगी। पुस्तक संबंधी महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं—

  • यह पुस्तक, अंतरिक्ष अनुसंधान, नाभिकीय अनुसंधान, सूचना प्रौद्योगिकी, पृथ्वी एवं महासागर विज्ञान, ऊर्जा, जैव-प्रौद्योगिकी एवं आनुवंशिकी, कणीय भौतिकी, नैनोप्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग, नवीन स्वच्छ ईंधन प्रौद्योगिकियां, स्पेस टूरिज्म, स्पेस डेब्रिस जैसे उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के केंद्रीय विषयों की विस्तृत रूप में विवेचना करती है।
  • यह स्वास्थ्य एवं औषधि, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण, कृषि, ग्रामीण विकास, और उद्योग जैसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आगतों के दृष्टिगत कुछ महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक प्रकृति का भी समावेश करती है।
  • पुस्तक पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के अंतर्गत नवीन शोधों तथा बढ़ती चिंताओं के प्रकाश में पर्यावरण पर मानव क्रियाओं के प्रभाव का परीक्षण एवं विश्लेषण करती है। साथ ही पर्यावरणीय ह्रास को कम करने की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयासों का विवेचन करती है।
  • प्रत्येक विषय से सम्बद्ध सिद्धांतों, अवधारणों एवं शब्दावली को समाविष्ट किया गया है।
  • वैज्ञानिक प्रयासों के विवेचन के अंतर्गत भारत द्वारा किए जाने वाले अनुसंधान एवं नवोन्मेषों को भी इस संदर्भ में समाहित किया गया है।
  • विषय को संक्षिप्त, सारगर्भित एवं सुगम्यता से समझ में आने वाली पद्धति से प्रस्तुत किया गया है।
  • नवीनतम विकास एवं ज्वलंत मुद्दे खण्ड में विभिन्न क्षेत्रों में जारी शोध प्रयासों को चयनित रूप से प्रस्तुत किया गया है, जिसमें विभिन्न नवीन मुद्दों एवं समाधानों के दृष्टिगत विषयों को शामिल करने के साथ-साथ नवीन उत्पादों एवं प्रक्रियाओं के विकास में वैज्ञानिक सिद्धांतों और अवधारणाओं की नवीन युक्तियों, शब्दावलियों, और नए अनुप्रयोगों को बढ़ावा दिया गया है।
  • वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय विकासक्रमों से संबंधित सामयिक सम्बद्धता के विशिष्ट विषयों का भी समावेश एवं वर्णन किया गया है।
  • यह पुस्तक अत्यधिक सूचनात्मक होने के साथ-साथ विवेचनात्मक, विश्लेषणात्मक एवं समीक्षागत पहलुओं को समाहित करते हुए प्रतिस्पर्द्धात्मक परीक्षाओं एवं साक्षात्कार, जहां वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय क्षेत्रों में विकास की उन्नत जागरूकता, समझ एवं समाधान की अपेक्षा की जाती है, की तैयारी कर रहे अभ्यार्थियों के लिए व्यावहारिक रूप से अपरिहार्य सिद्ध होगी।

 

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