मानव विज्ञान मानव के क्रमिक विकास, सामाजिक तथा सांस्कृतिक इतिहास के सभी पहलुओं के अध्ययन का एक आकर्षक क्षेत्र है जो सामाजिक और जैविक विज्ञान के साथ मानविकी और भौतिक विज्ञान के सिद्धांतों को एकीकृत कर यह बोध कराता है कि मनुष्य होना क्या है। इसलिए मानवविज्ञानी एल्फ्रेड एल. क्रोबर मानव विज्ञान को ‘‘विज्ञानों में सबसे अधिक मानवतावादी और मानविकी में सबसे अधिक वैज्ञानिक’’ मानते हैं।

मानव विज्ञान के अंतर्गत सांस्कृतिक मानवशास्त्र, पुरातात्विक मानवशास्त्र, शारीरिक मानव विज्ञान एवं भाषामूलक मानव विज्ञान का समग्र अध्ययन एवं अनुसंधान शामिल है। एक ओर जहां पुरातात्विक मानव विज्ञान अवशेष के रूप में प्राप्त हस्तकृतियों के आधार पर अतीत के मानवीय क्रियाकलापों का अध्ययन करता है, वहीं भाषाई मानव विज्ञान में भाषा की उत्पत्ति, विशेषता, प्रकृति, इतिहास, सामाजिक प्रकार्य तथा बाहुल्यता का अध्ययन किया जाता है। इसी प्रकार सामाजिक-सांस्कृतिक मानवशास्त्र, विभिन्न प्रकार के वातावरणों के प्रति मानव के अनुकूलन, एक-दूसरे के साथ संवाद तथा सामाजिक व्यवहार करने के तरीके का अध्ययन करता है।

प्रस्तुत पुस्तक में सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा के नवीन पाठ्यक्रम के दृष्टिगत मानव विज्ञान के समस्त पहलुओं एवं क्षेत्रों का समावेश किया गया है। पुस्तक में प्रत्येक अध्याय से संबंधित पर्याप्त सामग्री के अतिरिक्त परिशिष्ट में विभिन्न विषयों पर सामयिक, विश्लेषणात्मक एवं व्यावहारिक जानकारी का समावेश किया गया है।

मानव विज्ञान भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों में एक विषय के तौर पर पढ़ाया जाता है। यह संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा में भी एक विषय है। इस प्रकार यह पुस्तक सिविल सेवा परीक्षा के प्रतियोगी परीक्षार्थियों के साथ-साथ मानव विज्ञान के स्नातकोत्तर विद्यार्थियों, शोधार्थियों, विद्वज्जनों एवं जागरूक पाठकों की जरूरतों को पूरा कर सकेगी।

 

 

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