वैज्ञानिकों ने विश्व में सर्वप्रथम बंदर का क्लोन विकसित किया
वैज्ञानिकों ने उसी तकनीक से बंदर का क्लोन विकसित किया जिस से डॉली भेड़ का क्लोन विकसित किया गया था। झौंग झौंग और हुआ हुआ बंदर के दो क्लोन हैं जिन्हें शंघाई के चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेस इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस में विकसित किया गया।
ये पहला मामला है जब सोमैटिक सैल न्यूक्लियर ट्रांसफर टेकनीक का इस्तेमाल करते हुए किसी बंदर का क्लोन बनाया गया है। बीस साल पहले भेड़ का क्लोन इसी तकनीक से बनाया गया था। वैज्ञानिकों ने कई अन्य तकनीकों का प्रयोग भी किया परंतु एक ही तकनीक से क्लोन विकसित हो पाया।
वैज्ञानिक आशा कर रहे हैं कि वो दवाइयों के परीक्षण के लिए आगे भी इस प्रकार से क्लोन विकसित कर पाएंगे। झौंग झौंग और हुआ हुआ के लिए वैज्ञानिकों ने अंडे की कोशिका से केंद्रक हटा कर बॉडी सेल्स के अन्य केंद्रक को स्थापित कर दिया था।
पेटा की ओर से इस मामले पर चिंता व्यक्त की गई है और कहा गया है कि यह एक भयानक तथा क्रूर कृत्य है। पेटा का कहना है कि क्लोनिंग एक हॉरर शो है जिसमें जीवन, समय और पैसा बेकार किया जाता है और इस प्रकार के प्रयोगों के कारण होने वाले कष्ट सोचे भी नहीं जा सकते।
क्लोनिंग की प्रक्रिया में नब्बे प्रतिशत असफलता मिलती है इसलिए ये दो छोटे-छोटे बंदर कष्ट और असंख्य मौतों को दर्शाते हैं। क्लोनिंग से सिर्फ जानवरों को दुख पहुंचाया जा सकता है। ये जीते-जागते जीव हैं कोई प्रयोग करने की चीज नहीं हैं। यदि इस रिपोर्ट के शब्दों को ध्यान से पढ़ा जाए तो पता चलता है कि इन दो क्लोन्स के लिए कई जानवरों को मार दिया गया जिससे कि जीवित जन्म कराया जा सके।
कुछ जानवर जन्म के कुछ ही समय बाद मर गए जो कि उनके और उनकी माओं के लिए दर्दनाक था। लगभग 100 मिलियन जानवर प्रतिवर्ष प्रयोगों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। जो वैज्ञानिक इस परियोजना में शामिल थे उनका कहना है कि हमने कठोर नीति का पालन किया है जिससे किसी जानवर को कष्ट न हो।
इस क्लोनिंग में कठोर अंतरराष्ट्रीय निर्देशों का पालन किया गया है, जोकि यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट हेल्थ द्वारा निर्धारित की गई हैं। ये क्लोन हमें वास्तविक नमूने दे सकते हैं जिन पर न सिर्फ आनुवांशिक दिमागी बीमारियों का बल्कि कैंसर, इम्यून या मेटाबोलिक बीमारियों का इलाज भी खोजा जा सकता है। इससे पहले वर्ष 1999 में भी मकाक बंदरों की क्लोनिंग की कोशिश की गई थी परंतु वह प्रयोग सफल नहीं हो पाया था।