भारत सरकार की विदेश नीति पर हाउस पैनल ने प्रश्न किए, जिनके जवाब में विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सदा से मालदीव के साथ रहा है तथा आगे भी ‘प्रथम’ मित्रा’ की अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखेगा। विदेश मंत्रालय ने इस बात को भी स्वीकार किया कि वर्ष 2015 की प्रधानमंत्राी की मालदीव की यात्रा को अंतिम समय में मालदीव में हुए राजनीतिक क्रियाकलापों के कारण रद्द कर दिया गया था।
भारत तथा मालदीव के संबंध दिसंबर 2017 से ठंडे पड़े हैं, जब मालदीव ने चीन के साथ संसद के द्वारा मुक्त व्यापार समझौता किया था। यद्यपि, मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल ग्यून ने भारत की चिंताओं के लिए कहा कि भारत मालदीव का निकटतम मित्र है तथा दोनों तरफ से मुक्त व्यापार समझौते पर भी काम किया जा रहा है।
राज्यसभा के सदस्य ने भारत-नेपाल के संबंधों पर भी प्रश्न उठाये क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है कि नेपाल में किसी ने भारत-विरोधी अभियान चलाया हो और नेपाल में चुनाव जीत गया हो। नेपाल में इस प्रकार का विकास एक चिंता का विषय है। समिति ने पाकिस्तान के उन सामाजिक कार्यकर्ताओं के वीजा के मसले को भी उठाया, जो कि भारत की यात्रा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान के सामाजिक कार्यकर्ता तथा बुद्धिजीवी लोकतांत्रिक मूल्यों के समर्थक हैं तथा भारत-पाकिस्तान संबंधों के सामान्यीकरण को भी समर्थन देते हैं, अतः किसी भी कारण से उनके वीजे में देरी नहीं की जा सकती’’। समिति ने चीन तथा भारत के बीच डोकलाम विवाद के मुद्दे पर नवीन विकास तथा कुलभूषण यादव के मसले पर भारत तथा पाकिस्तान के बीच बातचीत पर भी विचार-विमर्श किया। विदेश मंत्रालय ने समिति के सामने अपना वक्तव्य रखते हुए कहा कि भारत पाकिस्तान को निश्चित सिद्धांतों में शामिल करना चाहता है परंतु भारत की सुरक्षा पर किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता, ना ही सीमा पार आतंकवाद को हल्के में लिया जा सकता है।