परिवहन, पर्यटन तथा संस्कृति संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने पर्यटन मंत्रालय की प्रसाद योजना की अवधारणा को पूर्णतः गलत बताया तथा कहा कि इस योजना पर पुनः विचार किए जाने की आवश्यकता है।
31 सदस्यों की कमेटी, जिसमें 15 बीजेपी के संसद सदस्य भी शामिल थे तथा जिसकी अध्यक्षता राज्यसभा के सदस्य डेरेक ओ ब्रायन द्वारा की गई, ने इस योजना को लागू किए जाने में हुई चूक पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस योजना में तीर्थ स्थलोंµअयोध्या, मथुरा तथा वाराणसी, आदि के विकास की संभावना थी, परन्तु पर्यटन मंत्रालय ने ‘प्रसाद’ तथा अन्य योजनाओं को अतिछादित किया तथा वर्ष 2014 में योजना की अवधारणा के उपरांत इस योजना के क्रियान्वयन में अत्यधिक धीमी गति से कार्य किया।
स्थायी समिति सरकार के प्रत्युत्तर से असंतुष्ट दिखाई दी, जिसमें सरकार ने राज्य सरकार की एजेंसियों को देरी के लिए उत्तरदायी बताया। स्थाई समिति ने कहा, योजना लागू होने के तीन साल उपरांत भी ठीक प्रकार से नहीं चल पा रही है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘राज्य सरकारें वास्तव में पर्यटन विभाग के विचार तथा योजनाओं को अमल में नहीं ला रही हैं।’’
स्थाई समिति ने कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना का दौरा किया तथा कमेटी द्वारा की गई विवेचना में पाया कि राज्यों के पास उनकी अपनी पर्यटन नीति है, परंतु प्रतीत होता है कि राज्यों तथा केंद्र सरकारों के बीच किसी प्रकार का तालमेल नहीं है।