सर्वोच्च न्यायालय की अधिशासी समिति, जिसका नेतृत्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा कर रहे हैं ने 11 जनवरी, 2018 को एक इतिहास रचते हुए पहली बार किसी महिला अधिवक्ता को शीर्ष अदालत में सीधे न्यायाधीश के पद पर नियुक्त किया। इंदु मल्होत्रा शीर्ष अदालत में सीधे न्यायाधीश नियुक्त होने वाली पहली महिला वकील होंगी। इससे पहले 68 वर्षों के इतिहास में मात्रा छह महिलाओं को यह पद प्राप्त हुआ है तथा सभी छह महिलाएं उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय के लिए चुनी गई थीं। वर्ष 2007 में इंदु मल्होत्रा को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता बनाया गया था।
अधिशासी समिति ने इंदु मल्होत्रा के साथ-साथ उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के.एम. जोसेफ के नाम के लिए भी सिफारिश की है। जस्टिस जोसेफ उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के निर्णय को रद्द कर दिया था।
शीर्ष न्यायालय में नियुक्त होने वाली प्रथम महिला जस्टिस न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी थीं। वर्ष 1989 में बीवी सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश नियुक्त हुई थीं। इनके बाद सुजाता वी मनोहर, रूमा पाल, ग्यान सुधा मिश्रा, रंजना पी. देसाई तथा आर भानुमति इस पद पर आसीन हुईं। इंदु मल्होत्रा ने अपनी कानून की पढ़ाई दिल्ली युनिवर्सिटी से की तथा 1983 से इन्होंने वकालत आरंभ की। इंदु मल्होत्रा पिछले 35 वर्षों से दिल्ली में वकालत कर रही हैं और वह इन वर्षों में अधिकतर सर्वोच्च न्यायालय में कार्यरत रहीं थीं।