3 दिसंबर, 2017 को पर्यावरण मंत्री  ने अपने विवादास्पद निर्णय जिसके अनुसार मवेशियों को काटने के लिए बाजार में नहीं बेचा/खरीदा जा सकता है, पर रोक लगा दी गई है।

कई राज्यों ने इस नियम का विरोध किया था तथा बयान दिया था कि यह नियम उनके राज्यों में मवेशियों के व्यापार के अधिकार का उल्लंघन करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने नियम के लागू होने पर रोक लगा दी थी। पशुओं के प्रति क्रूरता रोकथाम अधिनियम 1960, सेक्शन 38 द्वारा प्राप्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने यह नियम बनाया था परंतु 23 मई, 2017 को दी गई अधिसूचना को केंद्र सरकार ने वापस ले लिया है। मंत्रालय द्वारा लिए गए निर्णय को मुस्लिमों के विरुद्ध देखा गया था तथा इसकी कड़ी आलोचना भी हुई थी।

सरकार ने इसी के साथ मत्स्यपालन को व्यवस्थित करने हेतु जो नियम बनाया था, वह भी वापस ले लिया है। इस नियम के अनुसार, मछलीघर के मालिकों तथा उनके अधिष्ठानों का पंजीकरण अनिवार्य था। उल्लेखनीय है, कुछ समुदायों तथा राज्यों में मवेशियों को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है, जिन्हें इस प्रकार के कानून से खासी परेशानी का सामना करना पड़ा।

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