महिला तथा बाल विकास मंत्रालय द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि एसिड हमला पीड़ितों, मानसिक व्याधियों से ग्रस्त लोगों, ऑटिज्म से पीड़ित लोगों को केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण दिया जाएगा। यह घोषणा विकलांग व्यक्तियों के अधिकार विधेयक 2016 में एसिड हमले के पीड़ितों को सम्मिलित करने पर जनवरी माह में की गई। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने सभी केंद्र सरकार के विभागों को निर्देशित किया है कि वह प्रत्येक पद के एक प्रतिशत को अंधेपन तथा निम्न दृष्टि के पीड़ितों के लिए, बहरे तथा कम सुनने वालों के लिए, चलने में अक्षम जिनमें सेरिब्रल पाल्सी, कुष्ठरोगी, बौने, मांसपेशीय दुर्विकास, एसिड हमले से पीड़ित व्यक्तियों के लिए आरक्षित रखा जाए। इन पदों के एक प्रतिशत को स्वलीनता (ऑटिज्म), मानसिक व्याधि, बौद्धिक अक्षमता, सीखने में अक्षम व्यक्तियों के लिए आरक्षित रखा जाए।

सभी सरकारी संस्थाओं को शिकायत निवारण अधिकारियों की तैनाती करनी होगी, जिससे ये अधिकारी शिकायतों पर ध्यान दे सकें। कोई भी व्यक्ति जो कि, किसी भी प्रकार विकलांगता से पीड़ित हो, किसी भी प्रकार से भेदभाव का शिकार होने पर नामित अधिकारी के पास रिपोर्ट कर सकता है तथा इस रिपोर्ट पर निर्णय लेने का अधिकतम समय दो माह है तथा लिए गए निर्णय को शिकायतकर्ता को भी बताना होगा। ये कदम इसलिए उठाए गए हैं जिससे कि विकलांगों के लिए आरक्षण समायोजित न किया जा सके।

प्राधिकारी एसिड हमले से पीड़ित व्यक्तियों की शिकायतों को लेकर हमेशा ही सजग रहे हैं। वर्ष 2017 में पांच एसिड हमले से पीड़ितों तथा एक किन्नर द्वारा की गई शिकायत के बाद दिल्ली हाइकोर्ट ने हस्तक्षेप किया तथा शिकायतकर्ताओं को उनके पद दिलाए।

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