केंद्र सरकार अपने ‘गो ग्रीन इनिशिएटिव’ के तहत् संसद तथा राज्य के सदन में कार्य प्रणाली को कागजरहित (पेपरलेस) बनाने तथा इसका डिजिटाइजेशन करने की इच्छुक है। मोदी सरकार के डिजिटल इंडिया प्लान का हिस्सा है पेपरलेस कार्यशैली तथा संसद और एसेम्बली में अधिकाधिक ऑटोमेशन करना। यह प्रस्ताव जनवरी 2018 में पेश किया गया।
पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार ने संसद के दस्तावेजों तथा रिपोर्ट को कागजों पर प्रिंट कराने में कमी की है। वर्ष 2016 में सरकार ने प्रिंटेट बजट कॉपी की संख्या लगभग आधी कर दी। वर्ष 2017 में बजट पेश किए जाने के दिन केवल संसद सदस्यों को इसकी प्रिंटेड कॉपी दी गई क्योंकि वित्त मंत्राी के भाषण के कुछ ही समय बाद बजट स्पीच और प्रस्तावों को सरकारी वेबसाइट पर डाल दिया गया। पेपरलेस होने से न सिर्फ कागज और मूल्य की बचत की जा रही है बल्कि संसद तथा राज्य की विधायिकाओं को अधिक उत्पादक, पारदर्शी तथा जनता के लिए अधिक उत्तरदायी बनाया जा रहा है।