जीव संरक्षण निकाय

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड, विश्व में अपनी तरह का प्रथम संगठन है। जिसकी स्थापना पशु हिंसा रोकथाम अधिनियम, 1960 के तहत् 1962 में की गई और इसका मुख्यालय चेन्नई में अवस्थापित किया गया।

बोर्ड का गठन 28 सदस्यों द्वारा किया जाता है जिसमें एक अध्यक्ष; एक उपाध्यक्ष; एक वन महानिरीक्षक; पशुपालन आयुक्त; गृह मंत्रालय और मानव संसाधन मंत्रालय प्रत्येक से एक-एक प्रतिनिधि; लोक सभा से 4 सदस्य; राज्यसभा से 4 सदस्य; मानवतावादी विषयों से संबंधित तीन सदस्य; एवं अन्य सदस्य।

बोर्ड के कृत्यः

* निरंतर अध्ययन के तहत् पशुओं के खिलाफ हिंसा रोकने वाले भारत में प्रवृत्त कानूनों से अद्यतन रहना और समय-समय पर इनमें संशोधन करने का सरकार को सुझाव देना।

* केंद्र सरकार को पशुओं की अनावश्यक पीड़ा या परेशानी रोकने के संदर्भ में नियम बनाने का परामर्श करना।

* भार ढोने वाले पशुओं के बोझ को कम करने के लिए केंद्र सरकार या स्थानीय प्राधिकरण या अन्य व्यक्ति को पशुओं द्वारा चालित वाहनों के डिजाइन में सुधार करना।

* केंद्र सरकार को पशुओं के अस्पताल में प्रदान की जाने वाली चिकित्सकीय देखभाल एवं ध्यान से सम्बद्ध मामलों पर परामर्श देना और जब कभी बोर्ड जरूरी समझे पशु अस्पतालों को वित्तीय एवं अन्य मदद मुहैया कराना।

* वित्तीय मदद एवं अन्य तरीके से पिंजरा, शरणगाहों, पशु शेल्टर, अभ्यारण्य इत्यादि के निर्माण या अवस्थापना को बढ़ावा देना जहां पशुओं एवं पक्षियों को शरण मिल सके जब वे वृद्ध हो जाते हैं एवं बेकार हो जाते हैं या जब उन्हें संरक्षण की जरूरत होती है।

* किसी भी ऐसे मामले पर जो पशु कल्याण या पशुओं पर अनावश्यक पीड़ा एवं हिंसा से सम्बद्ध हो, केंद्र सरकार को परामर्श देना।

केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण

भारत में, चिड़ियाघरों के कृत्यों का विनियमन वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत् गठित केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा किया जाता है। प्राधिकरण में एक अध्यक्ष, दस सदस्य एवं एक सदस्य सचिव होता है। प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य वन्य जीव के संरक्षण में राष्ट्रीय प्रयास को पूरा करना है।

प्राधिकरण की भूमिका विनियामक की अपेक्षा सुसाध्य बनाने की है। इसलिए, यह ऐसे चिड़ियाघरों को तकनीकी एवं वित्तीय मदद प्रदान करता है जिनमें वन्य जीव प्रबंधन के इच्छित मानक प्राप्त करने की क्षमता है।

प्राधिकरण ने इसके गठन के समय से कुछ मुख्य कदम उठाए हैं जिसमें जैव-प्रौद्योगिकी में अनुसंधान जारी रखने के लिए हैदराबाद में संकटापन्न जीवों के संरक्षण हेतु एक प्रयोगशाला की स्थापना करना, लाल पांडा के नियोजित प्रजनन एवं वनों में इनकी संख्या फिर से सामान्य करना, कुछ खास पशु संस्थानों में रोगों की पहचान हेतु रोग पहचान सुविधाओं का उन्नयन करना।

प्राधिकरण के कृत्यः

* चिड़ियाघर में रखे जाने वाले जीवों की देखभाल के लिए उनके आवासों के न्यूनतम मानकों को विशिष्टीकृत करना;

* संस्तुत मानकों एवं मापदंडों के संदर्भ में चिड़ियाघरों के कार्यकरण का मूल्यांकन एवं आकलन करना;

* चिड़ियाघरों को मान्यता प्रदान करना या उनकी मान्यता रद्द करना;

* निरंतर संकटापन्न जीवों के प्रजनन के उद्देश्य को पूरा करने हेतु उनकी पहचान करना और इसकी जिम्मेदारी चिड़ियाघर को सौंपना;

* प्रजनन उद्देश्य हेतु पशुओं के प्रापण, विनिमय, एवं लोनिंग का समन्वय करना;

* चिड़ियाघर में रखे गए जानवरों के प्रदर्शन से सम्बद्ध प्राथमिकताओं एवं थीम्स की पहचान करना;

* भारत में एवं भारत के बाहर चिड़ियाघर कार्मिकों के प्रशिक्षण का समन्वय करना;

* चिड़ियाघरों के उद्देश्य से संरक्षा प्रजनन और शैक्षिक कार्यक्रमों में अनुसंधान का समन्वय करना।

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