कुंभ मेला, जो कि प्रत्येक बारह वर्षों में आयोजित किया जाता है, को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया गया है। कुंभ मेले को सूची में शामिल करने का कार्य दक्षिण कोरिया में कमेटी की बैठक में किया गया। यह वर्ष 2016 से योग, पारसी त्योहार नौरोज के बाद तीसरे स्थान पर है जिसे यूनेस्को की सूची में शामिल किया गया है। कुंभ मेले को विश्व में सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है जिसमें सर्वाधिक तीर्थयात्राी सम्मिलित होते हैं। विश्व के सबसे बड़े इस धार्मिक मेले का आयोजन हरिद्वार और इलाहाबाद में गंगा नदी के किनारे, नासिक में गोदावरी के किनारे तथा उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे होता है।

कुंभ मेले को विश्व में श्रद्धालुओं का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण जमघट माना जाता है, जिसमें जाति, पंथ या लिंग के भेदभाव के बिना लाखों लोग हिस्सा लेते हैं। कुंभ मेले का प्राचीनतम लिखित वर्णन सम्राट हर्षवर्धन के समय का है और इसे चीन के प्रसिद्ध यात्राी ह्नेनसांग ने भी दर्ज किया है।

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